कोरोना की वैक्सीन बनाने में पूरी दुनिया लगी हुई है भारत भी लगातार खोज में लगा हुआ है और ऐसे मे एक खुशकभरी भारत के लिए भी, ऑक्सफोर्ड की तरफ से तैयार और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से बनाए जा रहे कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अगले हफ्ते पुणे के ससून जनरल अस्पताल में शुरू होगा।
दूसरे चरण का ट्रायल शहर के ही भारतीय विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज और केईएम अस्पताल में किया गया था। ऑक्सफोर्ड की तरफ से तैयार कोविड-19 को बनाने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्रेजेनिका के साथ साझेदारी है। इससे पहले, सीरम इंस्टीट्यूट ने देश में वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल रोक दिया था।
वैक्सीन के चलते अप्रत्याशित बीमारी के लक्षण दिखने के बाद एस्ट्रेजेनिका ने अन्य देशों में इसका ट्रायल रोक दिया था। इसके बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 11 सितंबर को सीरम इंस्टीट्यूट ने दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल को रोकने के निर्देश दिए थे। हालांकि, 15 सितंबर को डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट को दोबारा क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की इजाजत दे दी थी।
'देश की मौजूदा स्थिति देखते हुए कंपनी ले रही रिस्क'
हालांकि, बिना ट्रायल सफल हुए कंपनी दवा का उत्पादन क्यों शुरू कर रही है? इस सवाल के जवाब में कंपनी की ओर से कहा गया कि कंपनी देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक बड़ा रिस्क ले रही है। इसलिए, ट्रायल और इसे बनाने की प्रक्रिया लगभग एक साथ शुरू करने जा रही है। अगर ट्रायल सफल रहा तो दवाई सितंबर-अक्टूबर के बीच में उपलब्ध हो जाएगी। इस वैक्सीन को कंपनी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाएगी। दवा कंपनी सीरम दुनियाभर में सबसे अधिक टीके और उसके डोज बनाने के लिए जाने जाती है।
एक अरब डोज के प्रोडक्शन की डील
इससे पहले सुबह भारती विद्यापीठ के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय लालवानी ने बताया था कि हमने ट्रायल के लिए 5 व्यक्तियों का चुना है। इन लोगों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया खत्म हो गई। आरटी-पीसीआर और एंटीबॉडी परीक्षण किए गए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में वैक्सीन की 1 बिलियन डोज का उत्पादन करने के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश दवा फर्म एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया है।