महात्मा गांधी वर्ष 1929 में एक कार्यक्रम में शिरकत करने देहरादून
आए थे। इसी दौरान वह दो दिन के लिए मसूरी भी पहुंचे थे। इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 1946 में महात्मा गांधी दोबारा मसूरी आए और अकादमी क्षेत्र स्थित हैप्पी वैली बिड़ला हाउस में दस दिन तक ठहरे थे
महात्मा गांधी उस समय मसूरी के तत्कालीन कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल थे पुष्करनाथ तन्खा के सहयोग से देश के अन्य बड़े नेताओं के साथ बैठक कर आजादी के लिए रणनीति बनाते थे। उन्होंने 1946 में सिल्वर्टन मैदान में जनसभा भी की थी।
डॉक्टरों की सलाह पर गांधी जी ने 28 मई 1946 को फिर से मसूरी का दौरा किया। यहां आजादी के लिए उन्होंने सिल्वर्टन मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया।
भारद्वाज बताते हैं कि गांधी जी मसूरी में स्वास्थ्य लाभ भी लिया करते थे। वह कहा करते थे कि यहां की सुंदर पहाड़ियों को देखकर मैं अपने सारे दुख दर्द भूल जाता हूं। इसका जिक्र उनके द्वारा मसूरी एंड दून गाइड बुक के पहले पन्ने में गांधी जी के आर्टिकल में भी किया गया था। प्रार्थना सभा के बाद लोगों में गांधी जी की बातों से जोश भर जाता था।
भारद्वाज ने बताया कि उनके पिता आरजीआर भारद्वाज विश्वविख्यात ज्योतिषाचार्य थे। गांधीजी जब 1946 में बिड़ला हाउस में ठहरे थे तो उन्होंने उनके पिता को लाने के लिए दो रिक्शा भेजे थे। स्थानीय लोगों ने गांधी जी को चांदी की छड़ी और रिक्शा उपहार स्वरूप भेंट किया था।
गांधी जी ने उस उपहार को स्वीकार कर उसे उसी समय बेचने के लिए बोली लगाई। जिस पर स्थानीय लोगों ने 800 रुपये एकत्रित कर इसे खरीद लिया। यह रुपये गांधी जी ने मौके पर ही खादी ग्रामोद्योग को दान कर दिए। उस समय खादी के उत्थान के लिए स्वदेशी वस्तु अभियान चलाया जा रहा था। e