उद्धव ठाकरे विनाश काले विपरीत बुद्धि।
पहले सुशांत और अब कंगना मामले ने उद्धव ठाकरे सरकार की मट्टी पलित कर दिया है। वो कहते हैं न " विनाश काले विपरीत बुद्धि। शायद उद्धव ठाकरे के साथ भी ऐसा ही हो गया है। ऐसा लग रहा है की उद्धव ने मानो जैसे बालासाहब के विरासत को ही सर्मसार करने का कसम खा ली हो। क्योंकि एक के बाद एक जिस प्रकार से पहले तो सुशांत के कातिलों को बचने के लिए तरह तरह के षड्यंत्र रचा, फिर बिहार पुलिस को जाँच करने से रोकने की नाकाम कोशिश की, सीबीआई जाँच को भी अवैध बताकर सुप्रीम कोर्ट में औंधे मुँह गिरे, बिहार पुलिस मामले में थूक कर चटा, और अब कंगना रनौत मामले में भी थूक कर चाटने की नोवत आ गयी है।
क्योंकि जिस प्रकार से कंगना के साथ शिवसेना नेता संजय रावत ने बतमीजी की शुआत की और उसके जबाव में कंगना ने एक एक कर कई पलटवार किये उससे लगता है की अब शिवसेना को बैकफुट पर आना पड़ेगा।
हालाँकि शिवसेना अभी भी ये सोचती है की वह कंगना का घर तोड़कर बदला ले लिया है परन्तु ये उसका एक और भूल ही कहा जायेगा। क्योंकि जिस प्रकार कंगना को पुरे देश का समर्थन मिल रहा है और उद्धव ठाकरे की छीछालेदर हो रही है उससे तो यही लगता है।
आज सामना के जरिये संजय राउत ने अपनी किरकिरी होता देख एक भावुक लेख लिखकर एकबार फिरसे मराठा भूमिपुत्रों को झकझोरने की कोशिश की है। लेकिन जब कोई भी संस्था स्वार्थ से ओत प्रोत होकर अपने धुरविरोधी लोगों से हाथ मिला कर राष्ट्रधर्म छोड़ दे तो उसका साथ भूमिपुत्र भी छोड़ देते है। शायद यही कारण है की आज शिवसेना का सबने साथ छोड़ दिया है जिसका एहसास शायद शिवसेना को लगी है। इसीलिए संजय राउत को आज दशकों बाद राजठाकरे की भी याद आयी और उन्होंने मुम्बई मराठा स्मिता को बचाने के लिए आवाज उठाने की गुहार गुहार की। हालाँकि इस लेख में संजय राउत का जो दर्द है वो भी खुल कर सामने आ गया और उन्होंने माना की जिस (एक) दिन ठाकरे ब्रांड का पतन होगा---
स्वाभाविक है जब बाला साहेब के सिद्धांतों को छोड़कर शिवसेना सोनिया सेना के लिए काम करने लगे तो उसका पतन होना तय है।